1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 Causes and consequences)

1857 का विद्रोह, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला संग्राम भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह था। यह विद्रोह न केवल भारतीय सैनिकों द्वारा किया गया, बल्कि इसमें विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोगों ने भाग लिया।

इस लेख में हम 1857 के विद्रोह के कारणों, घटनाओं और परिणामों पर चर्चा करेंगे।

1857 का विद्रोह के कारण

एंग्लो इंडियन इतिहासकारों ने सैनिक असंतोष और चर्बी वाले कारतूसों को ही 1857 के महान विद्रोह का सबसे प्रमुख तथा महत्वपूर्ण कारण बताया है परंतु आधुनिक भारतीय इतिहासकारों नहीं यह सिद्ध कर दिया है की चर्बी वाले कारतूस इस विद्रोह का एकमात्र कारण अथवा सबसे प्रमुख कारण नहीं थे विद्रोह के कारण अधिक अच्छा थे और वह सब जून 1757 के प्लासी के युद्ध से 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे द्वारा अंग्रेज एजुक्टेंट की हत्या तक के अंग्रेजी प्रशासन के 100 वर्ष की इतिहास में निहित है चर्बी वाले कारतूस और सैनिकों का विद्रोह हो तो केवल एक चिंगारी थी जिसने इन सब कारणों को विस्फोटक की भांति बड़े विद्रोह में बदल दिया।

1857 के विद्रोह के कई कारण थे, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

सैन्य कारण:

  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सैनिकों (सिपाहियों) के साथ भेदभाव किया। नए राइफल, एनफील्ड राइफल, के कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया गया, जिससे सिपाहियों में आक्रोश फैल गया।

    आर्थिक कारण:

    • ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय कारीगरों और किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर किया। भूमि करों में वृद्धि और स्थानीय उद्योगों का विनाश किसानों और कारीगरों के लिए संकट का कारण बना।
    • शोषणकारी भू राजस्व व्यवस्था के कारण किसान और जमींदार भारी लगान के तले दब गए।
      • लगान चुकाने के लिए महाजनों लिए कर्ज को न चुका पाने के कारण लोगों को अपनी पुश्तैनी जमीनें बेचनी पड़ी।
    • सिपाहियों का एक बड़ा वर्ग किसान परिवारों से निकला था इसलिए किसानों का गुस्सा सिपाहियों में भी फेल गया।
    • इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के बाद भारत में हस्तशिल्प व कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। ब्रिटेन में निर्मित वस्तुओं का बड़े स्तर पर आयात होने से भारत का कपडा उद्योग बुरी तरह से बर्बाद हो गया।
      • भारतीय हस्तकला उद्योगों की सीधी पर्तिस्पर्धा इंग्लैंड की मशीनों से निर्मित सस्ते कपड़ों से होने लगी।
      • कच्चे माल पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।

      सामाजिक व धार्मिक कारण:

      • ब्रिटिश शासन ने भारतीय संस्कृति और धर्मों का अपमान किया। कई भारतीयों ने महसूस किया कि ब्रिटिश शासन उनके धार्मिक विश्वासों को खतरे में डाल रहा है।
      • जो भारतीय इसे धर्म अपना रहे थे उन्हें पदोन्नत किया जाने लगा।

        राजनीतिक कारण:

        • डलहौजी की विलय नीति:- कई भारतीय रजवाड़ों को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा समाप्त किया गया, जिससे राजनीतिक असंतोष बढ़ा।
        • हिंदू राज्यों से दत्तक पुत्र लेने का अधिकार छीन लिया गया। आश्रित राज्य (dependent states) और रक्षित सहायकों (protected allies) का भेद बहुत सूक्ष्म था तथा केवल बाल की खाल उतारने वाली बात थी।
        • विवादास्पद मामलों में कंपनी का निर्णय बाध्य होता था और कोर्ट आफ डायरेक्टर्स का निर्णय अंतिम था।
        • अनुपस्थित प्रभुसत्ता (Absentee Sovereigntyship):- मुगल और पठानों ने भारत को विजय किया तथा कालांतर में भारत में ही बस गए तथा भारतीय बन गए। यहां से एकत्रित किया गया कर यहीं पर व्यय होता था। अंग्रेजों के विषय में भारतीय यह अनुभव करते थे कि इन पर हजारों मील दूर से राज्य किया जाता है और देश के धन का धीरे-धीरे निकास हो रहा है।
        • 40 वर्षों से अनुकरण की हुई अंग्रेजी राज्य द्वारा स्थापित शांति (Pax Britannica) की नीति के कारण पिंडारी ठग तथा अन्य अनियमित सैनिक जो भारतीय रियासतों की सेना के अंग होते थे वे सब अब समाप्त हो चुके थे और उन दलों से निवृत सैनिक अब इस विद्रोह में सम्मिलित हो गए विशेष कर समाज विरोधी तत्वों को विद्रोह के दिनों में स्वर्ण अवसर मिल गया।

        तात्कालीन कारण

        • 1857 का विद्रोह मुख्य रूप से सैनिक कारणों की वजह से शुरू हुआ।
          • एनफिल्ड’ राइफलों के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी के उपयोग में लिए जाने की अफवाह फै गई।
          • इन राइफलों को लोड काने की लिए मुँह से कारतूस को खोलना पड़ता था।
          • हिन्दू और मुस्लिम सिपहियों ने इनको इस्तेमाल करने से मना कर दिया।
        • लॉर्ड कैनिंग ने संशोधन करते हुए विवादित कारतूस वापस ले लिए, जिससे सिपाहियों का शक अधिक गहरा हो गया और अशांति का माहौल बन गया।
        • मार्च 1857 मंगल पाण्डे ने नए राइफल के प्रयोग पर आवाज उठाई और अपने एक वरिष्ठ अधिकारी पर हमला किया।
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          विद्रोह की घटनाएँ

          1857 का विद्रोह मई 1857 में मेरठ से शुरू हुआ। सिपाहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह किया और जल्द ही यह विद्रोह दिल्ली, कानपूर, झाँसी, और लखनऊ जैसे अन्य शहरों में फैल गया।

          • दिल्ली: विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और बहादुर शाह ज़फर को अपना नेता बनाया।
          • कानपूर: नाना नानी ने विद्रोह का नेतृत्व किया और ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं।
          • झाँसी: रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की रक्षा के लिए वीरता से लड़ाई लड़ी।
          • लखनऊ: बेगम हज़रतमहल (महक पारी ) के नेतृत्व में 4 जून 1857 शुरू हुआ।

          1857 के विद्रोह के परिणाम

          1857 का विद्रोह अंततः विफल हो गया, लेकिन इसके कई महत्वपूर्ण परिणाम थे:

          1. ब्रिटिश शासन का परिवर्तन: विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण समाप्त कर दिया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया।
          1. भारतीय राष्ट्रीयता का उदय: इस विद्रोह ने भारतीयों में एकजुटता और राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया, जो आगे चलकर स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना।
          1. सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन: विद्रोह ने भारतीय समाज में कई सामाजिक और राजनीतिक बदलावों की नींव रखी, जिसमें शिक्षा, महिलाओं के अधिकार और सामाजिक सुधार शामिल थे।

          निष्कर्ष

          1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को बदल दिया। यह विद्रोह न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संघर्ष था, बल्कि यह भारतीय समाज में एक नई चेतना का संचार भी था। इस विद्रोह ने भारतीयों को एकजुट किया और भविष्य में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की प्रेरणा दी।

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